गर्दिश में चल रहें हमारे सितारे हैं उन्हें क्या याद करे जो न थे न हमारे हैं
जो न थे न हमारे हैं रह गया वो जिसके साथ हम अनजाने थे कोई नहीं था ये सोचा था हमने पर पता नहीं था की वो बेगाने ही हमारे हैं वो बेगाने ही हमारे हैं
खुश हूँ बहुत आज क्योंकि दुखी होने के लिए कोई दुःख बचा नहीं कोई चला गया तो चला जाये मुझे अब तक कोई अपना मिला नहीं क्यूं किसी के लिए बहाऊँ आँसूंजो चला गया उसे अब तलक कोई गिला नहीं जाने वाले को कौन रोक पाया है जाये जिसे जाना है जहाँ, मुझे कोई शिकवा नहीं साथ जो दे दे दो पल मेरा वो चार पलों के बाद रहा नहीं - शिखा "परी"
हमने यह एक फिल्म में सुना था आज खुश तो बहुत होगे तुम ..मेरे पास बँगला है गाड़ी है तुम्हारे पास क्या है ......................"मेरे पास माँ हैं ""माँ" कितना सुन्दर शब्द है दिल को छू देने वाला शब्द। माँ एक नए जीवन को अपने गर्भ में नौ महीने रखती है । वो ख्वाबों को हकीकत में बदलती है। माँ को करीब से मैंने तब जाना जब पिता कि मृत्यु हुयी। ऊनकी छवी को बहुत करीब से जाना। " मेरी माँ प्यारी माँ भोली माँ "- शिखा "परी"