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Monday, May 12, 2014

फिसलता वक़्त



वक़्त एक ऐसी पहेली है जिसे कोई पकड़ ना पाया ना ही कोई भांप पाया ....कभी कभी लगता है वक़्त सामने होता तो क्या कहती कभी कभी सोचती हूँ वक़्त उस समय मिल जाता तो आज ये न करती, आज वो ना होता कोई नहीं जानता वक़्त किसी को कब कहाँ से कहाँ ले जा सकता है ,किस वक़्त किस्से आपकी मुलाक़ात हो जाये किस पल हम क्या खो दें किस पल हम क्या पा लें कोई नहीं जानता ...कोई नहीं ..............
वक़्त के साथ इंसान सब भूल जाता हैं पुरानी बाते  ,पुराने ख्याल ,....वक़्त हर एक पहेली को धीरे धीरे सुलझाता है रेत की तरह भागता ये वक़्त भाग ना जाये अगर वक़्त अच्छा है तो खुल के जी लो बुरा है तो सह लो क्यूंकि ये वक़्त की दौड़ है जहाँ सब हारते गए सिर्फ और सिर्फ वक़्त जीतता आया है वक़्त जीतता जाएगा ...................................................................................................
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