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Tuesday, April 8, 2014

मज़हब



मज़हब –एक ऐसा शब्द जो किसी आम इंसान की ज़िन्दगी बदलने के लिए काफी है ,क्यूंकि ये हमारा मज़हब है जो किसी को मंदिर तो किसी को मस्जिद भेजता है, हमारा मज़हब हमें सिखाता  है की हम बचपन से गीता पढेंगे ,कुरान पढेंगे या  फिर बाइबिल ??
मज़हब के नाम पे लोग दंगे फसाद करते हैं एक दूसरे को मारने काटने के लिए तैयार हो जाते हैं ,कोई तलवार निकाल लेता है तो कोई चाक़ू ,पर इतनी लडाई आखिर क्यूँ ...लोग कहते हैं खुदा एक है फिर भी राम बड़े या अल्लाह ये फैसला क्यूँ लिया जाता है..... हमेशा इंसान की एक ही फितरत होती है उसे रहने  के लिए एक घर ,खाने के लिए रोटी दाल और पहनने के लिए कपड़े  ही चाहिए होते हैं फिर चाहे वो हिन्दू हो ,सिख हो, मुसलमान हो या फिर इसाई
सबको खुदा ने ही बनाया है कोई धरती  पर हमेशा के लिए नहीं आया है, इतनी नफरत क्यूँ आखिर??
 भारत तो आज़ाद है पर यहाँ की सोच तो आज भी वहीँ हैं जहाँ अंग्रेजों ने इस सोच को पैदा करके इसका विकास किया मतलब नीव उन्होंने रखी बिल्डिंग बनाने का ठेका हमने लिया है वाह  भाई वाह !!!! काबिले तारीफ मेरे भारत के लोगों....  सोच को थोडा सा ऊपर ले जाइये....becz India  is said to be  a Country where ….!!!Every one is equal..
शिखा "परी"

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