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Saturday, June 4, 2011

फलसफा ज़िन्दगी का

कहते हैं इंसान को अपनी पिछली ज़िन्दगी बहुत ख़ूबसूरत लगती हैपर सच तो ये है ज़िन्दगी कभी ख़ूबसूरत नहीं होतीबस कुछ यादें उन्हें ख़ूबसूरत बना देती हैं

पिछली ज़िन्दगी को भुलाना मुश्किल होता है पर सच तो ये है की ज़िन्दगी को दोहराया ही नहीं जा सकता, क्योंकि उसे दोहराना मुश्किल होता है

ज़िन्दगी कभी एक सी नहीं होती कहीं छांव तो कहीं धूप सी भी होती है बस चलते रहो दुनिया में, ज़िन्दगी की यही रीत होती है

- शिखा "परी"

7 comments:

SANDEEP PANWAR said...

जिंदगी के बारे में सही कहा है आपने,

Shikha Kaushik said...

shikha -i think you are right .great thinking .have a nice day .

Amit Chandra said...

मैं आपसे सहमत नही हुॅ। जिन्दगी हमेशा खुबसुरत होती है। बस देखने वालों का नजरिया अलग अलग होता है। कुछ इस तरह कि एक ग्लास में आधा ग्लास पानी है। कुछ लोग उसे आधा खाली कहेगें और कुछ लोग उसे आधा भरा हुआ। आशा है अन्यथा नही लेगीं। आभार।

Sunil Kumar said...

ज़िंदगी को जिस नजर से देखेंगी वैसी ही दिखाई देगी ,सुंदर रचना बधाई

Udan Tashtari said...

सच कहा...बस चलते रहो.

Shikha 'Pari' said...

आप सब की शुक्र गुजार हूँ.

SANJEEV SINGHAL said...

very nice thinking