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Monday, August 15, 2011

कागज़ के फूल

कागज़ के उन बिखरे टुकड़े की याद आज भी है मेरे पास
तुम्हे
तो शायद एहसास होगा
कि
इस कदर राहें मुड़ जाया करती है
कहने
को तो वो चन्द कागज़ के टुकड़े ही थे
पर
शायद उन कागज़ के टुकडो में
छिपी
थी किसी की तस्वीर

उस
तस्वीर में छिपी थी तेरी तस्वीर
वो
तस्वीर जो हमारे जीवन की शुरुवात थी
क्या
याद है तम्हे वो अनछुए से पल
उस
जीवन के बीते हुए हसीं तस्वीरो की

वो
झलक तक तुम्हारे पास अब नहीं आती होगी तुम्हे
उन
तस्वीरों में कुछ ख़ास था हमारा एहसास था
पर
आज वो एक तस्वीर मेरे लिए
एक
पिछले समय की याद बनके है

वो
समय कभी लौट के नहीं सकता
पर
शायद उसकी याद हमेशा मेरे दिल में रहेगी
"काश
तुम्हे ये एहसास हो पाता"....

- शिखा वर्मा"परी"

Sunday, August 14, 2011

जूनून

वो भक्ति रही वो गुरूर
इस कलयुग के ज़माने ने किया सब चूर चूर
कहाँ रहे अब महात्मा कहाँ है वो नेहरु
जागो आज के युग के लोगों
दिखाओ अपना जूनून

जुनूनी हो तो कुछ करके दिखाओ
हिंदुस्तान हमरा है
ये सिर्फ शब्दों में बताओ
क्यों आपस में ही बहा रहे हैं हम
एक-दुसरे का खून
जागो आज के युग लोगों
दिखाओ अपना जूनून!!!

HAPPY INDEPENDENCE DAY!!!

- शिखा "परी"