तुम्हे तो शायद एहसास न होगा
कि
इस कदर राहें मुड़ जाया करती है
कहने को तो वो चन्द कागज़ के टुकड़े ही थे
पर शायद उन कागज़ के टुकडो में
छिपी थी किसी की तस्वीर
उस तस्वीर में छिपी थी तेरी तस्वीर
वो तस्वीर जो हमारे जीवन की शुरुवात थी
क्या याद है तम्हे वो अनछुए से पल
उस जीवन के बीते हुए हसीं तस्वीरो की
वो झलक तक तुम्हारे पास अब नहीं आती होगी तुम्हे
उन तस्वीरों में कुछ ख़ास था हमारा एहसास था
पर आज वो एक तस्वीर मेरे लिए
एक पिछले समय की याद बनके है
वो समय कभी लौट के नहीं आ सकता
पर शायद उसकी याद हमेशा मेरे दिल में रहेगी
"काश तुम्हे ये एहसास हो पाता"....
- शिखा वर्मा"परी"