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Tuesday, September 6, 2011

देशभक्ति एक जूनून

MY WINNING POETRY.. IN ENGG. COLLEGE COMPETITION..

राहें हो गयीं खूनी 
हो जाओ अब जुनूनी 
उठाओ अब कोई तूफ़ान 
जो बढ़ाये देश का मान 
बट गया समाज टुकड़ों-टुकड़ों में 
 अब क्या रह गया भ्रष्टाचार के चीथड़ों में 
 धंस रहा है भारत का भविष्य कीचडों में 

 अमीरों को दिया जा रहा सम्मान 
  ग़रीबों का न रहा कोई मान 
ऐसा हो गया है मेरा भारत महान 

कंधे से कन्धा मिलाकर चले वाली नारियों 
 आसुंओं का सागर तुम न पियो 
बढ़ो आगे और संभालो अपना जहान  

 ओ छोटे- छोटे बच्चों चलो तुम गाँधी नेहरू की राह 
 खड़े करो खुशियों के किले 
 जिसमें रहें अमन और शान्ति 
 बेपरवाह, 
बचा सको तो बचा लो अपना मान
 मिट्टी में न मिल  मिल जाये 
 ये सोने की खान 

- शिखा "परी"

3 comments:

Pallavi saxena said...

वह!!! बचा सको तो बचा लो अपना मान मिट्टी में ना मिल जाये यह सोने खान.... बहुत खूब कभी समय मिले तो आयेगा मेरे भी पोस्ट पर आपका स्वागत है।
http://mhare-anubhav.blogspot.com/

Priyanka Trivedi said...

bhut achha likha hai tmne....... congrats!!!!!!!!! dear...........

SANDEEP PANWAR said...

अच्छे शब्द,